जलेबियाँ

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इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति के भीतर कोई न कोई कला जन्म से विद्यमान होती है।

कोई उस कला को अपने हृदय के प्रेम से सींचकर अमूल्य बना देता है, तो कोई उसी कला को अपने जीवन का व्यवसाय बना लेता है।


फर्क बस इतना है कि एक उसे आत्मा से जीता है और दूसरा उससे अपना जीवनयापन करने के लिये कमाता है।


मीना जी भी उन्हीं में से एक हैं जो अपनी कला को आत्मा से जीती हैं। मीना को खाना बनाना न केवल पसंद है, बल्कि वह उनके प्रेम और अभिव्यक्ति का माध्यम है।


वह हर दिन अपने पति और बच्चों के लिए पूरे मन से स्वादिष्ट व्यंजन बनाती हैं —मानो हर पकवान में अपने स्नेह की सुगंध घोल देती हों।

मीना का परिवार एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार है। उनके पति शैलेंद्र इंटरमीडिएट स्कूल में अध्यापक हैं।

दो प्यारे बच्चे हैं — रानी और राजा, जो उनके जीवन की मुस्कान हैं|


जब मीना रसोई में उतरती हैं, तो मानो पूरा घर महक उठता है। यहाँ तक कि पड़ोसी भी उस मोहक ख़ुशबू को सूँघकर मुस्कुरा उठते हैं — क्योंकि वे जानते हैं, आज फिर मीना ने अपने प्रेम से कुछ विशेष रचा है।


आज फिर बच्चों की जलेबी की फरमाइश पर मीना रसोईघर में उतरीं। उनकी आँखों में चमक और चेहरे पर हल्की मुस्कान थी, जैसे कोई नया जादू करने वाली हों।


मीना- क्या तुम्हे पता है? कि जलेबी बनाने के लिए सबसे जरुरी है, उसका घोल का सही तरीके से तैयार होना |

मैदा को पहले छानकर बर्तन में डालेंगे ताकि मैदा में गुठलियाँ न रहे |


अब इसमें हम बेसन डालेंगे ताकि जलेबियाँ हल्की कुरकुरी रहे, जब आप खाने के लिए उठाओ तो दाँतो से चबाते टाइम उसकी आवाज़ आये। वह आवाज़ भी एक आनंद देती हैं|

अब हम दही डालेंगे जो कि जलेबियों के मुलायम और फुल्की बनावट का राज है।

एक चुटकी हल्दी सुनहरी रंगत के लिए। ताकि वह खाने में ही नहीं बल्कि देखने में भी स्वादिष्ठ लगे| जब हम खाना खाते है -अगर खाना देखने में स्वादिष्ठ ख़ूबसूरत और सुगन्धित हो तो भूख दो गुनी बढ़ जाती हैं और खाना खाने के बाद हमारी आत्मा तृप्त हो जाती हैं | बेकिंग पाउडर या खमीर 1/2चम्मच हवा भरी जलेबी के लिए।


राजा : वाह मम्मी! आपके बताने से ही मुँह में पानी आ रहा है| अब तो बस जलेबियो के बनने का इंतज़ार हैं|


मीना : ठीक है सभी सामग्रियों को मिला कर पानी डालकर एक स्मूद, बिना गुठलियों वाला घोल तैयार हो चुका हैं |


घोल का गाढ़ापन बहुत महत्वपूर्ण है — न पतला, न बहुत गाढ़ा, बल्कि ऐसा कि धीरे-धीरे तेल में गिर सके।

अब मीना ने घोल को पाइपिंग बैग में भर लिया और तैयारी शुरू की।


गैस के एक चुल्हे पर तेल की कढ़ाई रखी, जो सुनहरी उम्मीदों और खुशियों से भरी हुई प्रतीत हो रही थी।

दूसरे चुल्हे पर चाशनी धीरे-धीरे उबल रही थी, जैसे हर बुलबुला मीना के प्रेम की कहानी कह रहा हो।


अब सब तैयारी हो चुकी हैं|  मीना अपने हाथों का जादू दिखाने के लिये तैयार हैं| 


मीना ने घोल को उठाया और उसे घुमाते हुए तेल में डाला, एक लाइन, दूसरी लाइन और ये तीसरी लाइन|  इस प्रकार देखते ही देखते,सुनहरी, फुल्की और कुरकुरी जलेबियाँ तैयार हो गई।


हर जलेबी की कतार में उनका प्यार, धैर्य और स्नेह घुला था। पड़ोसी भी उस मीठी खुशबू को सूँघकर मुस्कुरा उठते हैं ,

क्योंकि यह जलेबी केवल स्वाद की नहीं, स्नेह और प्रेम की मिठास की पहचान थी।


जैसे ही मीना जलेबियाँ चाशनी में डालती हैं, उनकी सुनहरी चमक और भी बढ़ जाती है। उनकी खुशबू इतनी मनमोहक होती है कि किचन ही नहीं, पूरा घर महक उठता है।”


पास ही बैठा उनका बेटा अधीर होकर पूछता है, “माँ, अब खा सकते हैं न?”

मीना मुस्कुराती हैं, “ज़रा ठंडी तो हो लेने दो, वरना ज़ुबान जल जाएगी।”


तभी बाहर से पड़ोसी की आवाज़ आती है — “मीना जी, आज फिर कुछ खास बना है क्या? खुशबू तो मोहल्ले तक पहुँच रही है!”

मीना जी हल्की-सी हँसी हँसती हैं, “बस, जलेबियाँ हैं... आपके हिस्से की भी रख देती हूँ।


और देखते ही देखते जलेबियो की दो थालियां तैयार हो जाती हैं | 


लीजिये रानी के पिता भी आ गये, ऐसा लगता है कि मानो जलेबियों की महक उनके पास तक पहुंच कर मीना के प्रेम का बुलावा दे आयी हो |

सभी लोग मिलकर जलेबियाँ खाते हैं और मीना की बहुत तारीफ करते हैं |  मीना का जलेबी बनाना सफल हो जाता है, क्योकि उसे इनाम में तारीफ मिलती है| 


हम लोगो की ये आदत होती हैं कि हम अपनों को उनके काम की तारीफ नहीं देते, हमें लगता हैं कि वो उनकी ड्यूटी हैं, जबकि आपकी तारीफ से सामने वाले का उत्साह बढ़ता हैं और वह अपने काम को और बेहतर तरीके से करता हैं | 


हमें अपने माता-पिता, भाई -बहन,पति-पत्नी या जो भी अच्छा काम करते हैं, उनकी तारीफ करनी चाहिये, यह एक सभ्य व्यवहार में आता हैं | 


रानी : मम्मी आपने बहुत अच्छी जलेबियाँ बनायीं हैं|

राजा: हाँ मम्मी बहुत अच्छी  बनी हैं | ऐसा मन कर रहा हैं कि बस खाता ही रहूँ | वाह! वाह! क्या स्वादिष्ठ हैं |


शैलेन्द्र : मीना सच तुम्हारी जलेबियाँ बहुत ही स्वादिष्ट बनी हैं | ऐसा लगता हैं मानो तुमने अपने हाथो के द्वारा इसमें अपना प्रेम मिला दिया हैं| 

दिन भर की थकान दूर हो गई | हर रोज ऐसा जादू किया करो|


मीना : शर्म से लाल हो जाती हैं |


पूरा घर ऐसा लग रहा हैं जैसे मानो कोई त्योहार मना रहा हो और जैसे ही मीना जलेबियाँ पड़ोसियों को शेयर करती हैं तो वह खुशियाँ दो गुनी हो जाती हैं|



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